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गुरुवार, 9 सितंबर 2010

जलवे पुलिस के


आज-कल अगर जलवे हैं तो वो सिर्फ पुलिस वालों के हैं। कोई भी उनको चुनौती देने को तैयार नही है। वैसे तो इन्हे जनता का रक्षक कहा जाता है । पर सोचिये अगर रक्षक ही भक्षक बन जाये तो क्या होगा।
जी हाँ, ये जो आप चित्र में रेलवे प्लेटफार्म का सुन्दर सा दृश्य देख रहे है, ये नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के एक प्लेटफार्म का दृश्य है। चित्र उतना स्पष्ट नही है फिर भी आपको चित्र में दिखाई दी जाने वाली वास्तविकता से अवगत कराता हूँ।
प्लेटफार्म से लेकर चित्र के अन्त तक आपको लोगों की एक लाइन दिख रही होगी, साथ मे नीले गोले में आपको एक पुलिस वाले साहब दिख रहे होगें। दरासल, इस प्लेटफार्म पर एक बिहार से सम्बन्धित ट्रेन लगने वाली है, औऱ इस ट्रेन में चढने वाले जनरल टिकट के यात्रियों की संख्या काफी अधिक है। सीधी-सी बात है ट्रेन में जाने वाले यात्रियों की संख्या काफी अधिक है और जनरल डिब्बों की संख्या कम , तो इस समस्या से निपटने के लिए यहाँ पुलिस वालों की ड्यूटी भी लगा रखी गयी है। कुछ ही पलों में ट्रेन प्लेटफार्म मे लग जाती है। ट्रेन के प्लेटफार्म में लगते ही सबसे पहले पुलिस वालों नें इन लोगो को एक लाइन में खङा कर दिया, दूर से देखने में लगाकि ये जनता के रक्षक भीङ से निपटने के लिए व्यवस्थित ढंग से यात्रियों को ट्रेन के जनरल डिब्बे में बैठा देगें। मगर ये क्या, ट्रेन के 3 जनरल डिब्बों के हर एक प्लेटफार्म गेट पर पुलिस वाले पहले से ही खङे हो गये और डिब्बे के वे गेट जो प्लेटफार्म की तरफ न होकर रेलवे लाइन की ओर थे, उन्हें पहले से ही बंद कर दिया गया, जिसके की कोई भी यात्री डिब्बे के दूसरे गेटों से अन्दर न आ सके। अब जनता के इन रक्षकों ने लाइन में लगे यात्रियों से एक-एक कर डिब्बे में आने को कहा। एक-एक कर यात्री डिब्बे के अन्दर जाने लगे और इन यात्रियों से एक-एक कर रकम वसूल की जाने लगी। बेचारे यात्री क्या करते, वे भी इन पुलिस वालों को वसूली की रकम देने लगे। यद्यपि इन सभी यात्रियों के पास यात्रा टिकट थे।
बात यही नही खत्म होती है, डिब्बा जैसे ही यात्रियों से फुल भर गया, वैसे ही पुलिस वाले डिब्बे से नीचे उतर गये औऱ प्लेटफार्म में बचे यात्रियों को (यात्री संख्या लगभग 150-200) ऐसे ही डिब्बे में घुस जाने की इजाजत देदी, क्योंकि तबतक इनकी जेब काफी गरम हो चुकी थी और वे इन यात्रियों को अपने हाल मे छोङकर दूसरी ट्रेंन में वसूली करने के लिए एक अन्य प्लेटफार्म मे जा चुके थे।
वैसे पुलिस का हर एक कर्मचारी एक जैसे नही होता है। कुछ पुलिस वाले तो अच्छे व्यक्तित्व के तथा सज्जन भी होते हैं। मगर सोचिये अगर सभी पुलिस के जवान इन जैसे हो गये तो देश का क्या हाल होगा। इसका उत्तर जनता पर ही छोङ देना बेहतर होगा।

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