छोटी आयु में राज्य की जिम्मेदारियां सँभालने के कारण अकबर पढाई नहीं कर पाया था । आश्चर्यजनक तथ्य यह है की उसे न तो लिखना आता था और ना ही पढना आता था । पढना-लिखना ना आने के बावजूद भी वह परिस्थितियों से अंजान नहीं था । ज्ञान के रूप में उसने जो कुछ भी प्राप्त किया केवल सुनकर ही प्राप्त किया । वह बड़े-बड़े दार्शनिकों, मुल्ला-मौलवियों के साथ बैठकर चर्चा किया करता था . इसके लिए अकबर ने इबादतखाना बनवाया था .