जी हाँ, आपके सामने जो दृश्य प्रस्तुत किये गये हैं, ये दृश्य है विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशन कानपुर सेन्ट्रल के कैण्ट साइड स्थित अनारक्षित टिकटघर की एक विन्डो के। इस टिकट विन्डो में एक महिला कर्मचारी कार्यरत थी। चूँकि टिकटघर में टिकट लेने वाले यात्रियों की संख्या लगभग 10-15 ही रही होगी और टिकटघर में लगभग 3-4 टिकट विन्डों भी कार्यरत थी। इसलिए उक्त विन्डो में कार्यरत महिला कर्मचारी अपनी विन्डों छोङकर बाहर चली गई और काफी देर तक लौटकर नही आई। इसी दौरान एक छोटा बंदर मौका पाकर विन्डो के अन्दर घुस गया। बंदर के टिकट काउण्टर में घुसने के बाद उसे जो भी वस्तु मिली, उसने उस वस्तु को फाङ दिया। टिकट रोल तक को फाङ दिया और टिकटों की बिक्री से प्राप्त कैश में जो रू0 के नोट मिले थे, उनको बंदर ने चबा-2 के फाङ डाला और नोट चबाने के साथ वहाँ रखा पानी का गिलास उठाया और गिलास मे रखा पानी पीने लगा। इतने से भी बंदर का मन नही भरा और कैश के रूप में प्राप्त सिक्कों कों मुँह में भर लिया और एक-दो सिक्के नही बल्कि उतने सिक्के जितने उसके मुँह में आ गये। फिर बंदर धीरे-धीरे विन्डों के छेद से बाहर निकला और जमीन मे पङी एक यात्री की टोकरी में बैठ गया और मुँह में भरे कुछ सिक्कों को खाने की कोशिश करी और कुछ को मुँह के बाहर निकाल दिया।
तब तक उक्त विन्डो के बगल में चल रही टिकट विन्डों में कार्यरत कर्मचारी को होश आया और वह कर्मचारी विन्डो के बाहर निकल चुके बंदर मिया को भगाने आये। पर अब कोई फायदा नही था, जो नुकसान होना था, वह तो हो ही चुका था।
इतना सब हो जाने के बाद भी उस टिकट विन्डों काउण्टर में कार्यरत महिला कर्मचारी लौटकर नही आई थी।
अब कार्यरत महिला कर्मचारी की लापरवाही वजह से हुये नुकसान को देख के तो बस यही कहा जा सकता है कि “ कुछ तो शर्म करो” ।