आज प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक धनाधीन होने के कारण शिक्षा क्षेत्र व्यवसाय क्षेत्र में तब्दील हो गया है। इसी कारण से इस क्षेत्र में विदेशी विश्वविद्यालयों से सम्बद्धता को ऊत्क्रष्टता के प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। जिसके कारण हमारी प्रतिभा का पलायन जारी है। भारत देश में प्रबंधन संस्थानों कि संख्या लगातार बढती जा रही है, लेकिन प्रबंधन बिगड़ता जा रहा है। देश में प्रबंधन संस्थानों कि संख्या बढ़ना एक अच्छा सन्देश है, परन्तु इन संस्थानों से निकलने वाले ५ प्रतिशत युवा भी स्वरोजगार कि ओर उन्मुख नहीं होते है, बल्कि बहुराष्ट्रीय कंपनी में अपनी सेवाएं उपलब्ध कराते है। इसके साथ ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अच्छे रोजगार के नाम पर युवाओं का शोषण भी जारी है। ये बहुराष्ट्रीय कंपनियां इन युवायों को एक आयु तक प्रयोग करने के बाद कंपनी से निकल देते है। इसके साथ ही इन युवाओं के बहुराष्ट्रीय कंपनियों में कार्य करने के कारण ये अपनी संस्कृति एवं रीति-रिवाजों से भी दूर हो जाते है।
आज शिक्षा को ज्यादातर वो लोग संचालित कर रहें हैं जो लोभी,लालची,कुकर्मी,महिलाओं के अस्मिता का सौदा करने वाले तथा भ्रष्ट नेताओं तथा अधिकारीयों के कुकर्मी रिश्तेदार हैं | अभी कल ही बिहार के कई जिलों के जमीनी स्तर की सामाजिक जाँच से लौटा हूँ जिसमे पता चला की ज्यादातर शिक्षकों की नियुक्ति ना सिर्फ फर्जी डिग्रियों के आधार पर हुई है बल्कि 25 %शिक्षक ऐसे हैं जो पांचवी कक्षा के बच्चों से भी ज्यादा कमजोर हैं | अब ऐसे में शिक्षा का क्या होगा यह तो सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है | जिला प्रशासन किसी भी प्रकार की जाँच करने में असमर्थ है | महीनों क्या सालो तक लिखित शिकायत पर डीएम कार्यालय से कार्यवाही तो दूर एक आश्वासन पत्र तक नहीं भेजा जाता है ,ऐसे में कोई शिकायत क्यों करेगा | आँगनवाड़ी प्रोजेक्ट का भी भ्रष्टाचार ने बुडा हाल कर रखा है | शिक्षा आज अच्छे,सच्चे,इमानदार और समर्पित लोगों की राह देख रहा है और इस राह में प्रधानमंत्री से लेकर भ्रष्ट सभी मंत्रियों ने अपने स्वार्थ की बाधा लगा रखा है ,ऐसे में शिक्षा का अगले दस साल में मतलब ही बदल जायेगा यानि अशिक्षित लोग शिक्षित से ज्यादा चरित्रवान और काबिल होंगे ?
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