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शनिवार, 29 मई 2010

महत्व ज्योतिर्लिंग का



क्या आप जानते है क़ि ज्योतिर्लिंग क्या है ? कहाँ है ?
ज्योतिर्लिंग का आशय शिवजी के प्रतीक चिन्ह के रूप से है। त्रेता युग की बात है, रावण शिवजी का परम भक्त था और रावण ने शिवजी से यह वरदान माँगा था क़ि वह शिवजी को श्रीलंका में स्थापित करना चाहता है। लेकिन शिवजी यह नहीं चाहते थे, लेकिन रावण को वरदान जो दिया था क़ि जो मांगोगे वही मिलेगा। रावण ने शिवजी को उठाकर ले जाना चाहा तो शिवजी अपना वजन बढाकर गिर पड़े। तभी से शिवलिंग की स्थापना गोला-गोकर्णनाथ (लखीमपुर-खीरी) में हुई , जो आज भी सर्वव्यापी है। भारत देश में कुल १२ शिवलिंग है जैसे- सोमनाथ (सौराष्ट्र) , महाकालेश्वर (उज्जैन) , ओंकारेश्वर (नर्मदा तीर) , बद्रीनाथ (उत्तराखंड) , विश्वेश्वर (वाराणसी) , रामेश (सेतुबंधु रामेश्वरम) आदि । भगवान भोलेनाथ के नाम पर प्रसिद्ध इन शिवलिंगों को देखने के लिए श्रद्धालु वर्ष-भर आते-जाते रहते है , जो इनके महत्व को दर्शता है।

शनिवार, 8 मई 2010

समाज सेवा में युवा शक्ति



आज के समय में हमारी युवा शक्ति आगे बढ़ रही है। हमारी युवा शक्ति भारत में ही नहीं अपितु विदेशों में भी देश का नाम रोशन कर रही है। लेकिन समाज सेवा के रूप में हमारे युवा क्या योगदान दे सकते है , यह एक प्रश्न है?
वर्तमान समय में हमारा देश कई समस्याओं से जूझ रहा है। आज भी हमारे देश की कुल जनसँख्या का बहुत बड़ा भाग निरक्षर है, साथ ही आज भी कई गाँव शहरों से अलग है। आज भी भारतीय समाज में कई स्थानों में धार्मिक अन्धविश्वास तथा कई कुरुतियाँ जैसे जादू-टोना ,टोटका आदि प्रचलित है। ऐसे में हमें एक ऐसे वर्ग की जरुरत है जो उस समाज का कायाकल्प कर सके तथा उन्हें नई विचारधाराओं से अवगत करा सके। इन सभी कुरूतियों को दूर कर नई विचारधारा को युवा वर्ग ही सम्पादित कर सकता है।
आज भी हमारे देश के भिन्न-भिन्न स्थानों में कूड़े के ढेर लगे मिलेंगे, सड़के टूटी हुई,उन्मे नाली का बहता हुआ पानी मिल जायेगा । ऐसे में युवा वर्ग अपने खाली समय में समय का सदुपयोग साफ-सफाई करने में,लोगों को जागरूक करने में कर सकता है। आज समय की मांग के अनुसार हमें एक ऐसी क्रांति कि आवश्यकता है जिसका नेतृत्व युवा वर्ग करे, लेकिन यह क्रांति सतारात्मक विचारों कि होनी चाहिए जो सारे विश्व को बदल दे।

रविवार, 2 मई 2010

दिमाग पर बढ़ता बोझ




वर्तमान समय में मनुष्य के दिमाग पर लगातार कार्य का बोझ बढ़ता ही जा रहा है । एक समय में एक व्यक्ति का दिमाग हर तरफ कार्य कर रहा है । उदाहरण के लिए - एक साधारण व्यक्ति एक ही समय में गाने सुनने के साथ लिखने का कार्य भी करता है तथा उसी समय वह व्यक्ति किसी अन्य कार्य के बारे में योजना भी बनता रहता है । इस प्रकार उस व्यक्ति का दिमाग एक ही समय में तीन कार्य एक साथ संपन्न करता है।
एक ही समय में एक से अधिक कार्य संपन्न करने हेतु दिमाग का अधिक उपयोग करने से एक व्यक्ति विशेष को कुछ लाभ पहुँचता है , तो कुछ हानि भी होती है । लाभ यह होता है उस व्यक्ति विशेष का दिमाग किसी भी कार्य को करने , सोचने , या योजना बनाने में तुरंत प्रतिक्रिया देता है तथा व्यक्ति को क्या करना चाहिए , इसके लिए भी तुरंत निर्देशित करता है। दिमाग के अधिक प्रयोग से व्यक्ति के ज्ञान में भी वृद्धि होती है।
दिमाग का अधिक उपयोग व्यक्ति विशेष के शरीर को हानि भी पहुंचाता है। यदि कोई व्यक्ति दिमाग का लगातार बहुत अधिक प्रयोग करता है , तो धीरे-धीरे उस व्यक्ति का दिमाग उसी मापन से विकसित होता जाता है और एक समय ऐसा आता है , जब उस व्यक्ति द्वारा कोई भी दिमाग सम्बंधित कार्य नहीं किया जाता है , तब भी उस व्यक्ति के दिमाग में लगातार रोजाना उपयोग के मपनार्थ क्रियाएं होती रहती है और वह लगातार उसी हिसाब से प्रतिक्रियाएं देता रहता है। फलस्वरूप व्यक्ति विछिप्त हो जाता है। अकेले में या सबके सामने न जाने क्या-क्या बोलता रहता है, इसी का उदः है।
अगर इसी प्रकार व्यक्ति विशेष के दिमाग पर लगातार बोझ बढ़ता रहा , तो वह दिन दूर नहीं, जब उन सभी कार्यों को एक साथ संपन्न करने वाले दिमागी मनुष्य विकसित हो जायेंगे।